(सामान्य विज्ञान) यांत्रिक ठोसों व तरलों के यांत्रिक गुण (Mechanical Properties of Solids & Liquids)

सामान्य विज्ञान (General Science)
यांत्रिकी (Mechanics)

ठोसों व तरलों के यांत्रिकी गुण (Mechanical Properties of Solids & Liquids)

द्रव्य (Matter) : ऐसा कुछ भी जिसमे द्रव्यमान हो तथा जो स्थान घेरता हो, द्रव्य कहलाता है। भौतिक आधार पर वर्गीकरण करने पर पदार्थ मुख्यतः तीन प्रकार के होते है।

1 . ठोस
2 . द्रव
3 . गैस

ठोस (Solid) : पदार्थ का वह प्रकार जिसका आकार (Shape) तथा आयतन निश्चित होता है, ठोस कहलाते है। ठोसों में प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है।

प्रत्यास्थता (Elasticity)


  • विरूपक बल(Deforming Force) : यदि किसी वस्तु पर कोई बाह्य बल लगाया जाये तो वस्तु का आकार (Size) अथवा आकृति (Space) अथवा दोनों ही बदल जाते है, जिससे वस्तु विकृत (Deformal) हो जाती है, इस बल को विरूपक बल (Deforming Force) तथा यह क्रिया विरूपण (Deformation) कहलाती है।

  • 'प्रत्यास्थता किसी पदार्थ (जिससे वस्तु बनी है) का वह गुण है। जिसके कारण वस्तु किसी विरूपक बल के द्वारा उत्पन्न आकार अथवा आकृति में परिवर्तन का विरोध करती है और विरूपक बल हटाते ही वस्तु अपनी पूर्व अवस्था को प्राप्त कर लेती है।

प्रत्यास्थता की सीमा (Limit of Elasticity) : हम जानते है कि पदार्थो के प्रत्यास्थता का गुण विरूपक बल के हटाते ही उन्हें अपनी पूर्व अवस्था प्राप्त करने को प्रेरित करता है। यदि विरूपक बल का मान बढ़ाते जायें तो एक अवस्था ऐसी आती है जब बल को हटाने पर वस्तु अपनी पूर्व अवस्था में वापस नहीं लौट पाती है। अतः किसी पदार्थ पर लगाये गये विरूपक बल की उस सीमा को, जिसके अन्तर्गत पदार्थ की प्रत्यास्थता का गुण विधमान रहता है, उस पदार्थ की प्रत्यास्थता की सीमा कहलाती है।

प्लास्टिक (Plastic): प्रत्यास्थता गुण के विपरीत, यदि किसी वस्तु पर नगण्य (Negligible) बल लगाने पर उसमे स्थायी परिवर्तन हो जायें तो वह वस्तु प्लास्टिक कहलाती है।

उदाहरण :- यदि हाथी दाँत, रबर तथा गीली मिटटी की गोलियाँ फर्श पर गिरायी जायें तो हाथी दाँत को गोली, टकराने के बाद सबसे ऊँची उठती है, इससे कम रबर की गोली तथा सबसे कम (लगभग नहीं) गीली मिटटी। अतः हाथी दाँत सबसे अधिक प्रत्यास्थ है जबकि गीली मिटटी बिलकुल नहीं अर्थात मिटटी प्लास्टिक है।

प्रतिबल (Stress) : साम्यावस्था में किसी वस्तु की अनुप्रस्थ काट के एकांक क्षेत्रफल पर कार्य करने वाले आंतरिक प्रतिक्रिया बल को प्रतिबल कहा जाता है। माना एक बाह्य बल F किसी वस्तु की अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A पर लगाया जाता है तो

  • प्रतिबल = बाह्य बल / क्षेत्रफल = F / A
  • प्रतिबल का SI मात्रक न्यूटन/मीटर2 होता है इसका विमीय सूत्र [ML-1 T-2 ] होता है।

विकृति (Strain): किसी वस्तु पर विरूपक बल के लगाने से वह वस्तु विकृत (Strained) हो जाती है। वस्तु के एकांक आकार में होने वाले तुलनात्मक परिवर्तन को विकृति (Strain) कहते है। विकृति एक तुलना होती है। अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है।

हुक का नियम(Hook’s Law): हुक के नियमानुसार प्रत्यास्थता की सीमा के अंतर्गत किसी पदार्थ पर कार्य करने वाला प्रतिबल उसमे उत्पन्न विकृति के समानुपाती होता है।

प्रतिबल α विकृति

प्रतिबल / विकृति = E प्रत्यास्थता गुणाकं (Modulus of Elasticity)

प्रत्यास्थता गुणाकं का SI मात्रक न्यूटन/मीटर2 (पास्कल) होता है।

यंग प्रत्यास्थता गुणांक (Young’s Modulus)


माना एक ऐसी वस्तु जिसकी लम्बाई, उसकी चौड़ाई या मोटाई की अपेक्षा बहुत अधिक है, की अनुप्रस्थ काट के एकांक क्षेत्र फल पर एक बल अर्थात अनुदैधर्य प्रति बल (Longitudinal Stress) लगाया जाता है जिससे वस्तु की एकांक लम्बाई में परिवर्तन हो जाता है जिसे अनुदैधर्य विकृति (Longitudinal Strains)कहते है तो 'अनुदैधर्य प्रतिबल तथा अनुदैधर्य विकृति के अनुपात को उस वस्तु के पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक कहते है।

यंग प्रत्यास्थता गुणांक = अनुदैधर्य प्रतिबल / अनुदैधर्य विकृति

अनुदैधर्य प्रतिबल = mg / πr2 अनुदैधर्य विकृति = L / I

द्रव (Liquid): पदार्थ का वह प्रकार जिसका आयतन (Volume)तो निश्चित होती है जबकि आकार (Shape) निश्चित नहीं होता, द्रव कहलाता है। द्र्वो में पृष्ठ तनाव, केशिकत्व, श्यानता आदि के गुण पाये जाते है।

पृष्ठ तनाव (Surface Tension): अंतराणविक बल (Intermolecular Forces): प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे कणो से मिलकर बना होता है जिन्हे अणु कहते है इन अणुओ के बीच कार्य करने वाले बल को अंतराणविक बल कहा जाता है। ये दो प्रकार के होते है।

  1. ससंजक बल
  2. आसंजक बल

ससंजक बल (Cohesive Force) : एक ही पदार्थ के अणुओ के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल ससंजक बल (Cohsive Force) कहलाता है।

दैनिक जीवन में ससंजक बल
1 . ससंजक बलों के कारण ही किसी द्रव की बुँदे सम्पर्क में आते ही मिल जाती है और एक बड़ी बूंद बना लेती है।
2 . जल से भीगी हुई दो प्लेटो को अलग-अलग करने के लिए जल के अणुओ के ससंजक बल के विरुद्ध काफी बल लगाना पड़ता है।
3 . ठोस पदार्थ एक निश्चित आकृति (Shape) के होते है क्योकि ठोस के अणुओ के बीच ससंजक बल का मान काफी अधिक होता है।
4 . शीत वैलिडंग (Cold Welding): इस प्रकार की वैलिडंग में धातुओ को मशीनों द्वारा इतना अधिक दबाया जाता है, जिससे वह आणविक के बीच ससंजक बल के कारण होता है।

आसंजक बल (Adhesive Force ): 'भिन्न-भिन्न पदार्थ के अणुओ के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल, आसंजक बल (Adhensive Force) कहलाता है।

दैनिक जीवन में आसंजक बल
1 . किसी वस्तु बर्तन आदि का जल से भीग जाना आसंजक बल का उदाहरण है।
2 . ब्लैकबोर्ड व चौक के कणों के बीच आसंजक बल के कारण ही लिखना सम्भव हो पता है।
3 . पौधे के ऊतको (Tissere) तथा जल के अणुओ के बीच आसंजक बल के कारण ही मृदा (Soil) द्वारा अवशोषित जल पौधे के शेष भागो तक पंहुचा पता है।

पृष्ठ का भीगना (Wetness of Surface)
1 . जब किसी द्रव-ठोस युग्म के लिये आसंजक बल का मान, द्रव के अणुओ के ससंजक बल के मान से अधिक होता है तो वह द्रव उस ठोस को गीला कर देता है।
उदाहरण - जल के अणुओ से काँच का पृष्ठ भीग जाता है।

2 . जब किसी द्रव ठोस युग्म के लिये आसंजक बल का मान, द्रव के अणुओ के ससंजक बल के मान से कम होता है तो वह द्रव उस ठोस को गीला नहीं कर पता है।
उदाहरण - पारे के अणु आपस में तो जुड़कर रहते है किन्तु काँच से पारा नहीं चिपकता है।

तेल तथा जल के बीच आसंजक बल जल के ससंजक बल से अधिक होता है यही कारण है कि तेल में डाली गई, जल की बूंद सिकुड़कर गोली का रूप ले लेती है जबकि जल पर डाली गई तेल की बूंद छोटी-छोटी बूंदो के रूप में फैल जाती है ।

पृष्ठ तनाव (Surface Tension)


  • "किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है जो द्रव के पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा के इकाई लम्बाई पर रेखा के लम्बवत कार्य करता है।"
  • "किसी द्रव का पृष्ठ तनाव, उस कार्य के बराबर होता है, जो नियत ताप पर उस द्रव के मुक्त पृष्ठ के क्षेत्रफल में 1 मीटर 2 की वृद्धि कर दे "

यदि द्रव पृष्ठ पर खींची गयी काल्पनिक रेखा की I लम्बाई पर F बल कार्य करता है तो:-

पृष्ठ तनाव (T) = F / l

  • द्रव का ताप बढ़ने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है।
  • पृष्ठ तनाव का SI मात्रक न्यूटन / मीटर या जूल / मीटर2 होता है।

पृष्ठ तनाव से संबंधित कुछ घटनाये

1 . साबुन अथवा डिटर्जेंट जल में मिला देने पर जल का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है अतः साबुन का घोल कपड़ो के उन छोटे-छोटे छिन्द्रो में भी पहुंचते है जहाँ शुद्ध जल नहीं जा सकता है। इस्सके बाद साबुन या मैल के कण आपस में आसंजक बल के कारण चिपक जाते है और कपडे को साफ़ कर देते है। यदि घोल को थोड़ा गर्म कर दिया जायें तो पृष्ठ तनाव और कम हो जाने के कारण यह कपड़ो की और अच्छी सफाई करता है।

2 . पतली सुई पृष्ठ तनाव के कारण ही पानी में तैरती रहती है।

केश नली (Capillary Tube): 'ऐसी नली जिसका छिन्द्र केश (Hair) के जितना बारीक होता है , केश नली (Capillary Tube) कहलाती है।'

केशिकत्व (Capillarity): केशिकत्व में द्रव के ऊपर चढ़ने अथवा नीचे उतरने की घटना को केशिकत्व कहा जाता है।"

  • जो द्रव काँच (Glass) को भिगोते है वे काँच की केशनली में ऊपर की ओर चढ़ते है। जैसे -जल
  • जो द्रव काँच (Glass) को नहीं भिगोते है, वे काँच की केशनली में नीचे की ओर गिरते है। जैसे - पारा

केशिकत्व का कारण (Cause of Capillarity): किसी द्रव का केशनली में ऊपर चढ़ने अथवा नीचे गिरने का कारण द्रव का पृष्ठ तनाव होता है।

केशिकत्व के कुछ व्यवहारिक उदाहरण

1 . पौधे जड़ो द्वारा मृदा (Soil) से जल अवशोषित करते है यह जल पौधे में बनी केशनलियो में से गुजरकर पौधे के विभिन्न भागो (तनो , पत्तियों आदि ) तक पंहुचा दिया जाता है। लालटेन में मिटटी का तेल , मोमबत्ती में पिघला हुआ मोम इनकी बत्ती में बनी केशनलियो के द्वारा ही ऊपर चढ़ता है और ये जलती रहती है।


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