(सामान्य विज्ञान) ऊष्मा - तापमान (तापमापी, परास, ऊष्मा स्थानान्तरण)

सामान्य विज्ञान (General Science)
ऊष्मा (Heat)

तापमान (Thermometry)

ताप की अवधारणा (Concept of Temperature): किसी वस्तु का ताप उसकी (Heatness) या ठण्डेपन (Coldness) का मापक होता है अर्थात ताप वह भौतिक राशि होती है, जिसके द्वारा हम छूकर यह ज्ञात कर सकते है कि कोई वस्तु कितनी गर्म या ठण्डी है।

तापीय साम्य (Thermal Equilibrium): यदि दो वस्तुएँ X तथा Y परस्पर सम्पर्क में रखी है जिनमें से वस्तु X छूने पर वस्तु Y की अपेक्षा गर्म प्रतीत होती है तो ऊष्मा (Heat) वस्तु X से Y की ओर बहने लगती है और यह ऊष्मा तब तक बहती है जब तक तापमान समान न हो जाए। अर्थात 'ऊष्मा (Heat) का प्रवाह सदैव उच्च ताप वाली वस्तु से निम्न ताप वाली वस्तु की ओर होता है।

ताप का मापक्रम (Scale of Temperature):  यदि दो वस्तुओ के ताप में अन्तर बहुत कम हो तो वस्तु को केवल छूकर ही इनके ताप का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। अतः इस हेतु ताप का एक मापक्रम या पैमाना (Scale) बनाना आवश्यक होता है।

तापमापी  (Thermometer)


ऐसा यन्त्र जिसमे ताप को मापने के लिए पैमाना (Scale) प्रयुक्त होता है तापमापी कहलाता है। अर्थात वह यन्त्र जो किसी वस्तु का ताप मापता (measure) है, तापमापी कहलाता है।"

पदार्थ के विभिन्न भौतिक गुणों में ताप के साथ परिवर्तन होता है अतः तापमापी बनाने हेतु पदार्थ के किसी ऐसे गुण का प्रयोग किया जाता है जो ताप (temperature) पर निर्भर करता हो। जैसे - ताप के साथ किसी द्रव या गैस के आयतन में परिवर्तन, ताप के साथ विघुत प्रतिरोधन (Resistance) में परिवर्तन आदि।

भिन्न- भिन्न गुणों को आधार बनाकर अनेको प्रकार के तापमापी बनाये गये है।

उदाहरण - द्रव तापमापी, स्थिर आयतन गैस तापमापी तापयुग्म तापमापी, पूर्ण विकिरण तापमापी, प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी आदि।

1 . द्रव तापमापी (Liquid Thermometer): प्रत्येक तापमापी में पदार्थ के किसी ऐसे गुण को चुन लेते है जो ताप के साथ निरन्तर बदलता रहता है अतः द्रव तापमापी में काँच की केशनली में द्रव (एल्कोहॉल या पारा) स्तम्भ की लम्बाई, तापमान मापन के लिए प्रयुक्त होती है।

  • एल्कोहॉल प्रयुक्त करने पर -115oC तक के ताप मापे जा सकते है।
  • पारा प्रयुक्त करने पर -39oC से लेकर 350oC तक के ताप मापे जा सकते है।

2 . पारा तापमापी/क्लीनिकल/डॉक्टरी तापमापी (Clinical Thermometer): मानव शरीर का ताप परिवर्तन छोटी परास (Short Range ) में ही होता है अतः मानव शरीर के तापमान को मापने हेतु पारा तापमापी का प्रयोग किया जाता है। पारा तापमापी में न्यूनतम बिन्दु 95oF (35oC ) तथा उच्चतम बिन्दु 110oF (43oC) होता है अर्थात यह तापमापी 95oF से 110oF के बीच कार्य करता है।

सिद्धान्त (Principal): द्रव तापमापी या पारा तापमापी में 'उष्मीय प्रसार' (Thermal Expansion) के गुण का प्रयोग किया जाता है।

3 . स्थिर आयतन गैस तापमापी (Constant Volume Gas Thermometer): स्थिर आयतन हाइड्रोजन गैस तापमापी को प्रमाणिक गैस तापमापी माना जाता है।

सिद्धान्त (Principal): तापमान में परिवर्तन करने पर स्थिर आयतन पर हाइड्रोजन गैस के दाब (Pressure) में परिवर्तन हो जाता है, यही गुण इस तापमापी का सिद्धान्त है।

परास (Range)


हाइड्रोजन गैस तापमापी से -200 C से 500 C  तक  के ताप नापे जा सकते है।

उच्च ताप (High temperature) पर हाइड्रोजन विसरण (Diffusion) के द्वारा बाहर निकलने लगती है अतः 500 C से अधिक ताप मापने के लिए (1500 C तक) नाइट्रोजन गैस का उपयोग किया जाता है। -200oC से नीचे (-268oC तक) के ताप मापने हेतु हाइड्रोजन के स्थान पर हीलियम गैस का उपयोग किया जाता है।

4 . प्लेटिनम प्रतिरोध तापमापी (Platinum Resistence Theromometer) : इस तापमापी में ताप परिवर्तन के साथ भौतिक गुण प्रतिरोध (Resistance) में परिवर्तन का उपयोग किया जाता है।

सिद्धान्त (Principle): किसी धातु के तार का विघुत प्रतिरोध (Resistance)  तार का ताप बढ़ाने पर बढ़ जाता है, यही गुण इस तापमापी का सिद्धान्त है।

परास (Range) : इस तापमापी के द्वारा -1200 C  तक के ताप मापे जा सकते है।

5 . ताप युग्म तापमापी (Thermo couple Thermometer) : यह तापमापी दो धातुओं से बने ताप युग्म द्वारा माप देता है।

सिद्धान्त (Principle) : यह तापमापी 'सीबेक प्रभाव' (Seeback Effect)  पर आधारित है।

सीबेक प्रभाव (Seeback Effect) : जब दो भिन्न-भिन्न धातु युग्म (ऐंटीमनी व विस्मथ या तांबा व लोहा) के तारों को जोड़कर एक बन्द परिपथ (Closed  circuit ) बनाते है तथा दोनों संधियों को भिन्न-भिन्न ताप पर रखते हैं तो परिपथ में एक विघुत वाहक बल उतपन्न हो जाता है जिससे परिपथ में धारा बहने लगती है, इसे 'ताप विघुत  धारा' (Thermo Electric current ) कहते है तथा यह प्रभाव सीबेक प्रभाव (Seeback Effect ) कहलाता है।

परास (Range ) : इस तापमापी के द्वारा भिन्न -भिन्न धातु युग्मो का प्रयोग करके -200 c  से 1600oC तक के ताप मापे जा सकते है।

7 . प्रकाशित उत्तापमापी (Optical Pyrometer): इसके द्वारा अत्यधिक उच्च तापमान मापे जाते है।

सिद्धान्त (Principle) : यह उत्तापमापी 'विन के विकिरण संबंधी विस्थापन नियम’' (Wein’s Displacement Law) पर आधारित है अर्थात

'किसी तप्त वस्तु (Hot Body ) से उतसर्जित विकिरण की तरंगदैधर्य  πm तथा वस्तु के परम ताप (T ) का गुणनफल सदैव नियत रहता है"

λm × T = नियतांक

परास (Range): इस तापमापी के द्वारा 800oC से 2700oC तक के ताप मापे जा सकता है।

ताप मापन के पैमाने (Scales of Temperature measurement)

ताप का मापक्रम बनाने के लिए पदार्थ की ऐसी दो अवस्थाओं को आधार बनाया जाता है जिन्हें सुगमतापूर्वक प्राप्त किया जा सके।

गलती हुई बर्फ के ताप को हिमांक (Ice - point) तथा उबलते हुए जल की माप के ताप को भाप बिंदु (Steam Point) कहा जाता है। इन तापो को भिन्न-भिन्न पैमानों पर स्वेच्छा से कुछ आंकिक मान दे दिया जाता है तथा इन मानो के अंतर को डिग्री (degree) कहा जाता है।

ताप मापन हेतु कई प्रकार के पैमानों प्रयुक्त किये जाते है जैसे- सेल्सियस, फारेनहाइट, रयूमर, केल्विन, आदि।

1 . सेल्सियस पैमाना  (Celcius Scale)

  • सेल्सियस पैमाना में 'हिमांक' (Ice - Point) 0oC पर तथा 'भाप बिंदु' (Steam Point) 100oC पर निर्धारित किया गया है।
  • हिमांक (0oC ) तथा भाप बिंदु (100oC ) के बीच की दूरी को 100 बराबर भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग को 1oC (1 डिग्री सेल्सियस) कहा जाता है।

2 . फारेनहाइट पैमाने (Fahrenheit Scale)

  •  फारेनहाइट पैमाने में 'हिमांक' (Ice Point) 32oF पर तथा 'भाप बिंदु' (Steam Point) 212oF पर निर्धारित किया गया है।
  • हिमांक (32oF ) तथा भाप बिंदु (212oF ) के बीच की दूरी को 180 बराबर भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग को 1oF (1 डिग्री फारेनहाइट) कहा जाता है।

3 . रयूमर पैमाना (Reumer Scale)

  • रयूमर पैमाना में हिमांक (Ice Point) 0o R पर तथा भाप बिंदु (Steam Point) 80o R पर निर्धारित किया गया है।
  • हिमांक (0o R ) तथा भाप बिंदु (80o R ) के बीच की दूरी को 80 बराबर भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग को 1o R (1 डिग्री रयूमर) कहा जाता है।

4 . केल्विन पैमाना (Kelvin Scale)

  • केल्विन पैमाना  में हिमांक (Ice Point) 273 K तथा भाप बिंदु (Steam Point) 373 K पर निर्धारित किया गया है।
  • हिमांक (273 K) तथा भाप बिंदु (373 K) के बीच की दूरी को 100 बराबर भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग को 1 K (एक केल्विन) कहा जाता है।

ताप मापन के विभिन्न पैमानों में संबंध (Relation among different scales of Tempreature Measurement)

सेल्सियस, फारेनहाइट, रयूमर तथा केल्विन पैमानों में निम्नलिखित संबंध होता है।

C-0/5 = F-32/9 = R-0/4 = K-273/5

परमशून्य ताप (Absolute temperature): भौतिकी में अधिकतम ताप या उच्च ताप (High temperature ) की सीमा नहीं होती है जबकि न्यूनतम ताप (Minimum temperature ) का एक मान निर्धारित किया गया है जिसे परमशून्य ताप (absolute temperature ) कहा जाता है। इस परमशून्य ताप का मान -273 .15 C निर्धारित किया गया है।

ऊष्मा स्थानान्तरण (Transmission of Heat)


ऊष्मा धारिता (Heat Capacity)

  • किसी पदार्थ (ठोस, द्रव या गैस) के ताप में वृद्धि करने पर पदार्थ के कणो में विक्षोभ (गति) होने लगती है अर्थात पदार्थ एक अवस्था से दूसरी अवस्था में आने से पूर्व कुछ ऊष्मा का अवशोषण करता है।
  • किसी पदार्थ के ताप में परिवर्तन करने के लिए वह पदार्थ ऊष्मा (Heat) की एक निश्चित मात्रा को अवशोषित (Absorb ) या निर्मुक्त (Reject ) करता है, ऊष्मा की यह निश्चित मात्रा उस पदार्थ की 'ऊष्मा धारित' (Heat Capacity) कहलाती है।
  • यदि किसी पदार्थ के ताप में ΔT परिवर्तन करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा Δθ हो तो पदार्थ की ऊष्मा धारित (S)

S = Δθ / ΔT

विशिष्ट ऊष्मा धारित (Specific Heat Capacity )

  • किसी पदार्थ के एकांक द्रव्यमान द्वारा अपने ताप में एकांक वृद्धि करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा उस पदार्थ की 'विशिष्ट ऊष्मा धारित' कहलाती है।
  • अर्थात यदि किसी पदार्थ के 1 ग्राम द्रव्यमान का ताप 1 सेल्सियस बढ़ाना है तो उस पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा (C) 

ऊष्मा स्थानान्तरण (Transmission of Heat)

ताप में अंतर के कारण ऊष्मा का एक वस्तु से दूसरी वस्तु में जाना अथवा एक ही वस्तु में एक स्थान से दूसरी स्थान पर जाना ऊष्मा का स्थानान्तरण कहलाता है।

ऊष्मा स्थानान्तरण की मुख्य तीन विधियाँ होती है:

  • चालन
  • संवहन
  • विकिरण

1 . चालन (Conduction): जब किसी वस्तु के भिन्न-भिन्न भागों का ताप भिन्न-भिन्न होता है तो उच्च ताप वाले कण अपने संपर्क में रखे निम्न ताप वाले कणो को ऊष्मा प्रदान क्र देते है फलस्वरूप वस्तु में ऊष्मा उच्च ताप वाले भाग से निम्न ताप वाले भाग की ओर गति करने लगती है।

2 . संवहन (Convection): ऊष्मा स्थानांतरण की ऐसी विधि जिसमे पदार्थ के कण एक-स्थान से दूसरे स्थान की ओर गति करते है, संवहन (convection) कहलाती है।

3 . विकिरण (Radiation): ऊष्मा स्थानांतरण की ऐसी विधि जिसमे किसी माध्यम (Medium) की आवश्यकता नहीं होती विकिरण कहलाती है। किसी गर्म वस्तु के रूप में भी गति करती है, जिसे विकिरण ऊर्जा  (Radiation Energy) कहा जाता है जबकि ऊष्मा स्थानंतरण की यह विधि विकिकरण कहलाती है।


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