आईएएस मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम: तमिल

Union Public Service Commission

सिविल सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

तमिल (वैकल्पिक साहित्य विषय)

प्रश्न पत्र -1

नोट: उत्तर तमिल में लिखने होंगे।

खंड-क: भाग-1 : तमिल भाषा का इतिहास

  • प्रमुख भारतीय भाषा परिवार- भारतीय भाषाओं में विशेषकर द्रविड़ परिवार में तमिल का स्थान द्रविड़ भाषाओं की संख्या तथा क्षेत्र विस्तार।
  • संगम साहित्य की भाषा - मध्यकालीन तमिल - पल्लव युग की भाषा के संदर्भ - संज्ञा, क्रिया,विशेषण तथा क्रिया - विशेषण का ऐतिहासिक अध्ययन तमिल में काल सूचक प्रत्यय तथा कारक चिह्न।
  • तमिल भाषा में अन्य भाषाओं में शब्द ग्रहण - क्षेत्रीय तथा सामाजिक बोलियां - तमिल में लेखन की भाषा और बोलचाल की भाषा में अंतर।

भाग-2 : तमिल साहित्य का इतिहास

तोलकापियम - संगम साहित्य - अकम और पुरम की काव्य विधाएं-संगम साहित्य की पंथ निरपेक्ष विशेषताएं - नीतिपरक साहित्य का विकास; सिल्लपदिकाराम और मणिमेखलै।

भाग -3 : भक्ति साहित्य (आलवार और नायनमार)

आलवारों के साहित्य में सखी भाव (ब्राइडल मिस्ट्रिज) - छुटपुट साहित्यिक विधाएँ (टट्टू, उला, पर्णि, कुरवंजी)।

आधुनिक तमिल साहित्य के विकास के सामाजिक कारकः उपन्यास, कहानी और आधुनिक कविता - आधुनिक लेखन पर विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं का प्रभाव।

खंड - ख: भाग -1 : तमिल के अध्ययन की नई प्रवृतियां

समालोचन के उपागमः सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, ऐतिहासिक तथा नैतिक -समालोचन का प्रयोग साहित्य के विविध उपादानः उल्लूरै (लक्षणा), इरैच्चि, तोणमम (मिथक), (ओतुरुवगम), (कथा रूपक), अंगदम (व्यंग्य, मैयप्पडु पडियम (बिंब), कुरियीडु (प्रतीक), इरुणमै (अनेकार्थकता) -तुलनात्मक साहित्य की अवधारणा - तुलनात्मक साहित्य के सिद्धांत।

भाग - 2 : तमिल में लोक साहित्य

गाथाएं, गीत, लोकोक्तियां और पहेलियां - तमिल लोक गाथाओं का समाज वैज्ञानिक अध्ययन। अनुवाद की उपयोगिता - तमिल की कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद-तमिल में पत्रकारिता का विकास।

भाग - 3 : तमिल की सांस्कृतिक विरासत

प्रेम और युद्ध की अवधारणा - अरम की अवधारणा - प्राचीन तमिलों द्वारा युद्ध में अपनाई गई नैतिक संहिता। पांचो लिणै क्षेत्रों की प्रथाएं, विश्वास, रीति-रिवाज तथा उपासना विधि।

उत्तर- संगम साहित्य में अभिव्यक्त सांस्कृतिक परिवर्तन - मध्यकाल में सांस्कृतिक सम्मिश्रण (जैन तथा बौद्ध)। पल्लव, परवर्ती चौल तथा नायक के विभिन्न युगो में कलाओं और वास्तुकला का विकास। तमिल समाज पर विभिन्न राजनितिक, सामाजिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक आंदोलनों का प्रभाव। समकालीन तमिल समाज के सांस्कृतिक परिवर्तन में जन माध्यमों की भूमिका।

प्रश्न पत्र -2

नोट: इस प्रश्न पत्र में निर्धारित पाठ्यपुस्तकों का मूल अध्ययन आवश्यक है। परीक्षा में उम्मीदवार की आलोचनात्मक क्षमता को जांचने वाले प्रश्न पूछे जाएगें।

खंड - क: भाग - 1 : प्राचीन साहित्य

(1) कुरुन्तौकै (1 से 25 तक कविताएं)
(2) पुरनानूरु (182 से 200 तक कविताएं)
(3)तिरुककुरल (तोरुल पालः अरसियलुम अमैच्चियलुम)
(इरैमाटचि से अवेअनजामै तक)

भाग -2 : महाकाव्य

(1) सिलप्पदिकारम (मदुरै कांडम)
(2) कंब रामायणम (कुंभकर्णन वदै पड़लम)

भाग -3 : भक्ति साहित्य

(1) तिरुवाचक ' र' म : नीतल विण्णप्पम
(2) विरुप्पावे (सभी पद)

खण्ड - ख आधुनिक साहित्य : भाग - 1 : कविता

(1) भारतियार : कण्णन पाट्ट
(2) भारती दासन : कुटुम्ब विलक्कु
(3) ना. कामरासन : करुप्पु मलरकल

गद्य

(1) मु. वरदराजनार : अरमुम अरसियलुम
(2) सी. एन अण्णादुरै : ऐ तालन्द तमिलगम।

भाग - 2 : उपन्यास, कहानी और नाटक

(1) अकिलन : चित्तिरप्पावै
(2) जयकांतन : गुरूपीडम

भाग - 3 : लोक साहित्य

(1) मत्तुप्पाट्टन कतै न. वानमामलै (सं.)
प्रकाशनः मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै

(2) मलैयरुवि : की.वा. जगनाथन (सं)
प्रकाशनः सरस्वती महल, तंजाऊर


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