आधुनिक भारत का इतिहास: भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन (फ्रांसीसियों, पुर्तगालियों व डचों का आगमन)

आधुनिक भारत का इतिहास

भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन
Arrival of European Companies in India

पुर्तगालियों का भारत आगमन


http://www.iasplanner.com/civilservices/images/Modern-Indian-History.pngभारतीय इतिहास में व्यापर - वाणिज्य की शुरुआत हड़प्पा काल से मानी जाती है । भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक संम्पन्नता, आध्यात्मिक उपलब्धियां, दर्शन, कला आदि से प्रभावित होकर मध्यकाल में बहुत से व्यापारियों एवं यात्रियों का यहाँ आगमन हुआ । किन्तु 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध एवं 17वी शताब्दी के पूर्वार्ध के मध्य भारत में व्यपार के प्रारंभिक उद्देश्यों से प्रवेश करने वाली यूरोपीय कंपनियों ने यहाँ की राजनितिक, आर्थिक तथा सामाजिक नियति को लगभग 350 वर्षो तक प्रभावित किया । इन विदेशी शक्तियों में पुर्तगाली प्रथम थे । इनके पश्चात डच अंग्रेज डेनिश तथा फ्रांसीसी आये । डचों के अंग्रेजो से पहले भारत आने के बावजूद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना डच ईस्ट इंडिया कंपनी से पहले हुई ।

यूरोपीय शक्तियों में पुर्तगाली कंपनी ने भारत में सबसे पहले प्रवेश किया । भारत के लिए नए समुद्री मार्ग की खोज पुर्तगाली व्यापारी वास्कोडिगामा ने 17 मई 1948  को भारत के पश्चिमी तट पर अवस्थित बंदरगाह कालीकट पहुँच कर की । वास्कोडिगामा का स्वागत कालीकट के तत्कालीन शाशक जमोरिन (यह कालीकट के शाशक की उपाधि थी) द्वारा किया गया । तत्कालीन भारतीय व्यापर पर अधिकार रखें वाले अरब व्यापारियों को जमोरिन का यह व्यव्हार पसंद नहीं आया , अतः उनके द्वारा पुर्तगालियों का विरोध किया गया ।

इस प्रकार हम देखते है के पुर्तगालियों के भारत आगमन से भारत एवं यूरोप के मध्य व्यापार के क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात हुआ । भारत आने और जाने में हुए यात्रा व्यय के बदले में वास्कोडिगामा ने करीब 60 गुना अधिक धन कमाया । इसके बाद धीरे धीरे पुर्तगालियों ने भारत आना आरम्भ कर दिया । भारत में कालीकट, दमन,दीव एवं हुगली के बंदरगाहों में पुर्तगालियों ने अपनी व्यापारिक कोठियों की स्थापना की । भारत में द्वितीय पुर्तगाली स्थापना अभियान पेड्रो अल्वरेज कैब्राल के नेतृत्व में सन 1500 ई. में छेड़ा गया । कैब्राल ने कालीकट बंदरगाह में एक अरबी जहाज को पकड़कर जमोरिन को उपहारस्वरूप भेट किया । 1502 ई. में वास्कोडिगामा का पुनः भारत में आगमन हुआ । भारत में प्रथम पुर्तगाली फैक्ट्री की स्थापना 1503 ई. में कोचीन में की गई तथा दुतीय फैक्ट्री की स्थापना 1505 ई. में कन्नूर में की गई । इसे भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है ।

भारत में डचों का आगमन


पुर्तगालियों के पश्चात डच भारत में आये । ये नीदरलैंड या हालैंड के निवासी थे । डचों की नियत दक्षिण पूर्व एशिया के मसाला बाजारों में सीधा प्रवेश कर नियंत्रण स्थापित करने की थी । 1596 ई. में कर्नेलिस डि हाऊटमैन (Cornelis de Houtman) भारत आने वाला प्रथम डच नागरिक था । डचों ने सन 1602 ई. में एक विशाल व्यापारिक कंपनी की स्थापना 'यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ़ नीदरलैंड' की स्थापना की । इसका गठन विभिन्न व्यापारिक कंपनियों को मिलाकर किया गया था । इसका वास्तविक नाम 'वेरिगंदे ओस्टिंडिशे कंपनी' था ।

इसके अतिरिक्त डचों द्वारा अन्य महत्वपूर्ण फैक्ट्रियां पुलिकेट (1610), सूरत (1616),चिनसुरा, विमलीपट्टनम, कासिम बाजार, पटना, बालासोर, नागपट्टनम तथा कोचीन में अवस्थित थी ।

विदेशी कंपनियां


कंपनी स्थापना वर्ष
एस्तादो द इंडिया(पुर्तगाली कंपनी) 1948
वेरिगिंदे ओस्त ईदिशे कंपनी (डच ईस्ट इंडिया कंपनी) 1602
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी 1600 (1599)
डेन ईस्ट इंडिया कंपनी 1616
कम्पने देस ईनदेश ओरियंटलेश (फ़्रांसिसी कंपनी) 1664

यूरोपीय व्यापारिक कंपनी से संबद्ध व्यक्ति


वास्कोडिगामा भारत आने वाला प्रथम यूरोपीय यात्री
पेड्रो अल्वरेज कैब्राल भारत आने वाला द्वितीय पुर्तगाली
फ्रांसिस्को डी अल्मेड़ा भारत का प्रथम पुर्तगाली गवर्नर
जॉन मिल्देनहॉल भारत आने वाला प्रथम ब्रिटिश नागरिक
कैप्टन हॉकिंस प्रथम अंग्रेज दूत जिसने सम्राट जहांगीर से भेट की
जैराल्ड औंगियार बंम्बई का संस्थापक
जॉब चार्नोक कलकत्ता का संस्थापक
चाल्र्स आयर फोर्ट विलियम (कलकत्ता) का प्रथम प्रशाशक
विलियम नारिश 1638 ई. में स्थापित नई ब्रिटिश कंपनी 'ट्रेडिंग इन द ईस्ट' का दूत जो व्यापारिक विशेषाधिकार हेतु औरंगजेब के दरबार में उपस्थित हुआ
फ्रैंकोइस मार्टिन पांडिचेरी का प्रथम फ़्रांसिसी गवर्नर
फ्रांसिस डे मद्रास का संस्थापक
शोभा सिंह बर्धमान का जमींदार, जिसने 1690 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह किया
इब्राहिम खान कालिकाता, गोविंदपुर तथा सूतानटी का जमींदार
जॉन सुरमन मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर से विशेष व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने वाला शिस्टमण्डल का मुखिया
फादर मोंसरेट अकबर के दरबार में पहुँचने वाले प्रथम शिष्टमंडल के अध्यक्ष
कैरोंन फ्रैंक इसने भारत में प्रथम फ़्रांसिसी फैक्ट्री की सूरत में स्थापना की

भारत में फ्रांसीसियों का आगमन


फ्रांसीसियों ने भारत में अन्य यूरीपीय कंपनियों की तुलना में सबसे बाद में प्रवेश किया । भारत में पुर्तगाली डच अंग्रेज तथा डेन लोगो ने इनसे पहले अपनी व्यवसायिक कोठियों की स्थापना कर दी थी । संन 1664 ई. में फ्रांस की सम्राट लुइ 14वें की समय उनके मंत्री कोल्बर्ट की प्रयासों से फ़्रांसीसी व्यापारिक कंपनी 'कंपनी द इंड ओरिएंटल' (कंपनी देस इंडस ओरिएंटल) की स्थापना हुई । इस कंपनी का निर्माण फ्रांस की सरकार द्वारा किया गया था। तथा इसका सारा खर्च भी सर्कार ही वहन करती थी । इसे सरकारी व्यापारिक कंपनी भी कहा जाता था क्योकि यह कंपनी सरकार द्वारा संरक्षित थी व् सरकार आर्थिक सहायता पर निर्भर करती थी ।

सूरत में 1668 ई. में फ्रांसीसियों की प्रथम कोठी ई स्थापना फ्रैंक कैरो द्वारा की गई । फ्रांसीसियों द्वारा दूसरी व्यपारिक कोठी की स्थापना गोलकुंडा रियासत के सुल्तान से अधिकार पत्त्र प्राप्त करने के पश्चात सन 1669 ई. मसूलीपट्टनम में की गई । 'पांडिचेरी' की नींव फ़्रेंडोईस मार्टिन द्वारा सन 1673 ई. में डाली गई । बंगाल के नवाब शाइस्ता खां ने फ्रांसीसियों को एक जगह किराये पर दी जहाँ चंद्रनगर की सु्प्रसिद्ध कोठी की स्थापना की गई । डचों ने 1639 ई. में पांडिचेरी को फ्रांसीसियों के नियंत्रण से छीन लिया किन्तु 1697 ई. के रिज्विक समझौते के अनुसार उसे वापस कर दिया । फ्रांसीसियों द्वारा 1721 ई. में मारीशस, 1725 ई. में माहे (मालाबार तट) एवं 1939 ई. में कराईकल पर अधिकार कर लिया गया । 1742 ई. के पश्चात व्यापारिक लाभ कमाने के साथ साथ फ्रांसीसियों की राजनितिक महत्त्वकांक्षाए भी जाग्रत हो गई । परिणामस्वरुप अंग्रेज और फ्रांसीसियों के बीच युद्ध छिड़ गया । इन युद्धों को 'कर्नाटक युद्ध' के नाम से जानते है ।

महत्वपूर्ण तिथियां : एक दृष्टि में


1498 वास्कोडिगामा का भारत आगमन।
1500 द्वितीय पुर्तगाली यात्री कैब्राल का भारत आगमन।
1502 दूसरी बार वास्कोडिगामा का भारत आगमन।
1510 गोवा पर पुर्तगालियों का अधिकार।
1530 कोचीन की जगह गोवा पुर्तगालियों की राजधानी बानी।
1599 ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1602 डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना।
1661 पुर्तगालियों ने ब्रिटेन के राजा को बम्बई दहेज़ में दिया।
1664 फ़्रांसिसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापाना।
1690 जॉब चारनौक द्वारा कलकत्ता की स्थापना।
1708-09 ब्रिटेन की दो प्रतिद्वंदी कंपनियों का आपस में विलय।
1759 बेदरा का निर्णायक युद्ध जिसमे अंग्रेजों ने डचों को पराजित कर भारतीय व्यापार से बहार किया।
1760

वदिवाश का निर्णायक युद्ध जिसमे अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को पराजित कर भारतीय व्यापर से बाहर कर दिया।


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