यूपीएससी मेन्स वैकल्पिक विषय कैसे चुनें?

आईएएस के ऑप्शनल पेपर का चयन कैसे करें।


How to Choose Optional Paper for IAS

यूपीएससी आईएएस परीक्षा के लिये सही तरीके से एक अच्छे वैकल्पिक विषय का चयन कैसे करें? यह एक ऐसा प्रश्न है जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे प्रत्येक आईएएस उम्मीदवार को परेशान करता रहता है, भले वो इस परीक्षा को देने वाले नये अभ्यर्थी हों या फिर वो इस परीक्षा में पहले भी भाग ले चुके प्रतिभागी हों।

यह हम सभी जानते हैं कि परीक्षा के पैटर्न में बदलाव के बाद अब उम्मीदवार को यूपीएससी मेन्स के लिए केवल एक वैकल्पिक विषय चुनना होता है। जिसमें उस वैकल्पिक विषय के लिये 250 अंकों के दो प्रश्नपत्र निर्धारित किये गये हैं। इसके अलावा, यूपीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा के पैटर्न मे भी कुछ विशिष्ट विषयों को सम्मिलित व संयोजित करके उसे इस प्रकार बनाया है जिससे उम्मीदवार को परीक्षा की तैयारी में समय व श्रम कम लगे। इसके साथ ही साथ उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा की तैयारी करने के लिये अधिक समय व ऊर्जा भी मिल सकेगी। अतः सिविल सेवा उम्मीदवारों को यह सलाह दी जाती है कि समय से पहले मुख्य परीक्षा के लिए अपने वैकल्पिक विषय (ऑप्शनल पेपर) का चयन कर लें, ताकि उन्हें उपयोगी पुस्तकों की एक सूची बनाना, नोट्स एकत्र करना तथा एक अच्छा अध्ययन समूह (स्टडी ग्रुप) बनाने या ज्वाईन करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

मुख्य परीक्षा के लिए चुने जाने वाले वैकल्पिक विषयों में कोई भी ऐसा विषय नहीं है जिसे सबसे आसान वैकल्पिक विषय कहा जा सके। किन्तु विषय के प्रति रुझान अथवा भ्रम होने की परिस्थिति में यह प्रत्येक उम्मीदवार पर निर्भर करता है कि उसके लिये क्या कठिन है और क्या सरल।

सबसे अच्छे वैकल्पिक विषय को लेकर आप की क्या राय है?


यदि हम विश्लेषण करें, तो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थाओं मे काउंसलिंग के दौरान अधिकांश नये उम्मीदवार इस असमंजस मे रहते हैं कि वे मेन्स परीक्षा के लिए कौन सा विषय चुनें। इसके अलावा, कई ऐसे उम्मीदवार भी होते हैं जिनके पास वैकल्पिक विषय चुनने के लिये विशेष कारण व सुझाव भी होते हैं।

उदाहरण के लिये: वैकल्पिक विषय की सफलता दर, लोकप्रियता व स्कोरिंग होना तथा जो समझने में आसान और दिलचस्प हो। ऐसा ऑप्शनल पेपर जिसके लिए पुस्तकें, कोचिंग व स्टडी नोट्स आसानी से मिल जाएं। साथ ही साथ उस विषय को भी चुना जाता है जिनका छात्रों ने अपने स्नातक या स्नातकोत्तर के दौरान अध्ययन किया हो।

उपरोक्त उदाहरण को देख कर यह समझा जा सकता है, कि मुख्य परीक्षा के लिए वैकल्पिक विषय चुनने के लिये सभी कारण व सुझाव विचारणीय हैं। किन्तु, इनमें से प्रत्येक कारण पर ध्यान दें और विश्लेषण करें कि वैकल्पिक विषय लेने के लिये इन सभी कारणों व सुझावों को मानक मान कर वैकल्पिक विषय का चुनाव किया जाना चाहिये अथवा नहीं।

हालाँकि, विषय की लोकप्रियता और उसके अधिक स्कोरिंग होने का परीक्षा में सफलता से कोई लेना-देना नहीं है, और ऐसा इसलिये है क्योंकि ऐसे कई उम्मीदवार भी रहे हैं जिन्होंने उन वैकल्पिक विषयों को चुना जो ना तो अधिक लोकप्रिय थे और ना तो अधिक स्कोरिंग। इसी तरह के कई अभ्यर्थियों व नये छात्रों की काउंसलिंग इत्यादि का अवलोकन करने के बाद एक बाद साफ हो जाती है कि जिन उम्मीदवारों ने सिविल सेवा मुख्य परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया है, मुख्यत: उन्होंने स्कोरिंग या लोकप्रियता के आधार पर नहीं बल्कि रुचि और स्नातकोत्तर पृष्ठभूमि के आधार पर ही वैकल्पिक विषय को चुना था।

कोचिंग संस्थान के आधार पर वैकल्पिक विषय का चुनाव करने वाले अधिकांश उम्मीदवारों को यह सलाह दी जाती है कि उन्हें एक बार सोचना चाहिए कि उन्होंने जो भी वैकल्पिक चुना है "क्या उसके लिए कोचिंग की आवश्यकता है?"। यदि हां, और आप बिना कोचिंग के सिविल सेवा की परीक्षा नहीं दे सकते हैं तो आप पूरी तरह से कोचिंग पर निर्भर रहें और यह भी संभव है कि आपको आपकी तैयारी के लिये एक अच्छा कोचिंग सेंटर मिल जाएगा। किन्तु हमने स्वयं जब इस विषय पर और गंभीर विश्लेषण किया तो यह पाया कि यूपीएससी की परीक्षा का पैटर्न और समय-समय पर इसके अप्रत्याशित बदलाव का असर भी उम्मीदवार और कोचिंग दोनों पर एक समान पड़ता है।

इसके दूसरी तरफ़ स्नातकोत्तर पृष्ठभूमि के आधार पर वैकल्पिक विषय चुनने का तरीका सिविल सेवा परीक्षा में बहुप्रचलित है। इसमे कोई संदेह नही कि इस प्रकार से उम्मीदवार पहले से ही उस विषय से परिचित हैं जिसे उन्होंने अपने ऑप्शनल पेपर (वैकल्पिक विषय) के रूप में लिया है। इसके आलावा इस विषय की तैयारी में उन्हें कठिन प्रयास तथा उस विषय की प्राथमिक समझ विकसित करने अधिक समय देने करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

समझने योग्य कुछ अतिमहत्वपूर्ण तथ्य


अब हमें यहां निर्धारित करना है, कि वास्तव में विषय की स्नातकोत्तर पृष्ठभूमि के आधार हमें चुनाव करना चाहिये, क्योंकि ऊपर वर्णित विश्लेषण के आधार पर ध्यान दें तो ये पता चलता है कि सिविल सेवा परीक्षा के वैकल्पिक विषयों की लिस्ट में दिये गये अधिकांश लोकप्रिय वैकल्पिक विषय स्नातक या परास्नातक में भी उपलब्ध होते हैं। अत: आईएएस परीक्षा देने की इच्छा रखने वाले स्नातक या परास्नातक स्तर पर अध्ययन कर रहे उम्मीदवारो को यह सलाह दी जाती है, कि वे अपने विषयों का अध्ययन गंभीरता से करें और उसी विषय के यूपीएससी सिलेबस के अनुसार केंद्रित होकर आगे बढ़ें।

ऊपर दिये गये तथ्य को वास्तविकता में भी देखा जा सकता है, क्योंकि हम ऐसे कई उम्मीदवारों से मिले हैं जिन्होंने पॉपुलर या मोस्ट स्कोरिंग सब्जेक्ट नहीं चुना बल्कि उस विषय को चुना जिसे वे स्नातक में पढ़ रहे थे और उनकी उसमें रुचि थी। उदाहरण के लिये जैसे: पशु चिकित्सा विज्ञान, साहित्य, गणित और अन्य इन जैसे अस्पष्ट विषय।

अब हम ये समझ सकते हैं कि रुचि के साथ-साथ उस विषय की पृष्ठभूमि होना अधिक महत्वपूर्ण कारक है, बजाय उसकी लोकप्रियता या स्कोरिंग क्षमता के।

वैकल्पिक विषय कैसा होना चाहिए:

  • जिसके बारे में आप अधिक से अधिक परिचित हों।
  • जो आपको अध्ययन के लिये उत्साहित करता हो।
  • जिसमे अध्ययन स्तर का और अधिक अन्वेषण करने का अवसर हो।
  • उस विषय की तैयारी के लिये कोचिंग संस्थान, अध्ययन सामग्री व आवश्यक पुस्तकें आसानी से उपलब्ध हों।

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